
भारत के हर गांव, कस्बे और शहर में अगर किसी मोटरसाइकिल ने दिलों पर राज किया है तो वह है — Rajdoot Bike। 80 और 90 के दशक के बीच यह बाइक सिर्फ एक सवारी नहीं, बल्कि हर गरीब और मिडिल क्लास आदमी का सपना हुआ करती थी। इसकी गूंज, इसकी सादगी और इसका भरोसा आज भी लोगों के दिल में ताज़ा है।
Rajdoot Bike का इतिहास – कैसे शुरू हुई ये “लौहकथा”?
राजदूत (Rajdoot) का उत्पादन भारत में Escort Group द्वारा किया गया था। पहली Rajdoot 175cc मॉडल 1962 में लॉन्च हुई थी, जो मूल रूप से पोलैंड की SHL M11 बाइक से इंस्पायर्ड थी। धीरे-धीरे यह बाइक ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय होने लगी क्योंकि:
- इसका इंजन मजबूत और भरोसेमंद था,
- मेंटेनेंस बहुत सस्ता था,
- और सबसे बड़ी बात – इसे किसी भी रास्ते पर चलाया जा सकता था।
Rajdoot Bike इंजन और प्रदर्शन – दमदार पर सरल मशीन
- इंजन क्षमता: 173cc, 2-स्ट्रोक एयर-कूल्ड इंजन
- पावर: करीब 9 HP
- टॉप स्पीड: लगभग 100 km/h तक
- माइलेज: 35-40 km/l के आसपास
- गियर सिस्टम: 3 स्पीड गियरबॉक्स
इसका इंजन उतना ही मजबूत था जितना गांव के किसान का इरादा। धूल, कीचड़ या ऊबड़-खाबड़ रास्ते – Rajdoot हर जगह चल जाती थी।
मिडिल क्लास की पहली पसंद क्यों बनी Rajdoot?
- सस्ती और भरोसेमंद: राजदूत की कीमत उस वक्त ऐसी थी कि एक मध्यम वर्गीय परिवार भी खरीद सकता था।
- स्पेयर पार्ट्स हर जगह मिलते थे: चाहे कोई छोटा गांव हो या शहर, Rajdoot का पार्ट्स हर जगह आसानी से मिल जाता था।
- मजबूत बॉडी: लोहे की टंकी और मोटे टायर इसे किसी भी रास्ते के लिए तैयार रखते थे।
- कम सर्विस कॉस्ट: राजदूत को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं थी — बस पेट्रोल डालो और चलाओ।
Rajdoot Bike लोकप्रियता की ऊँचाइयाँ
80 और 90 के दशक में Rajdoot 175 और Rajdoot Excel-T जैसे मॉडल हर घर में दिख जाते थे। खेतों में, शादी बारातों में, या स्कूल-ऑफिस जाने वाले युवाओं के पास — हर किसी के पास एक Rajdoot होती थी।
कई लोगों के लिए यह बाइक सिर्फ एक वाहन नहीं, जिंदगी की यादें बन गई। आज भी गांवों में कुछ लोग इस बाइक को प्यार से संजोए हुए हैं।
क्या आज भी Rajdoot मिलती है?
राजदूत का उत्पादन अब बंद हो चुका है, लेकिन सेकंड हैंड मार्केट में इसकी कीमत ₹15,000 से ₹40,000 के बीच देखी जा सकती है, कंडीशन पर निर्भर करता है। कई लोग अब इसे कलेक्टर आइटम या विंटेज बाइक के रूप में रखते हैं।
Rajdoot का मॉडर्न अवतार – क्या लौटेगी ये दंतकथा?
आज के दौर में जब Electric Bikes और Modern Street Bikes का जमाना है, लोग अब भी चाहते हैं कि Rajdoot फिर से नए अवतार में लौटे — शायद एक Electric Rajdoot के रूप में।
अगर ऐसा होता है, तो यह उन पुरानी यादों को एक नई ऊर्जा देगा।
निष्कर्ष – एक नाम, जो हमेशा याद रहेगा
Rajdoot सिर्फ बाइक नहीं थी, वो हर गरीब और मिडिल क्लास परिवार का गौरव थी। जिसने भारतीय सड़कों को चलना सिखाया, और हर बेटे को अपने पिता की मेहनत का गर्व महसूस करवाया।
राजदूत – न मिटने वाली कहानी, जो हर घर की यादों में आज भी चलती है।






